वो जब सबके साथ होता है, वो बस होने का नाटक करता है. लेकिन जब वो "उसके" साथ होता है तब सिर्फ उसके ही साथ होता है. तब भी जब वो अपनी बाइक चला रहा होता है. जहाँ उसके पीछे "वो" बैठी होती है और "उसे" लगता है कि वो उसकी सुन ही नहीं रहा है. "वो" पूरे रास्ते लगातार बोलती रहती और वो उसे न के बराबर जवाब देता है. अक्सर "वो" उससे बाइक में इतना दूर बैठा करती है कि "वो" उसकी हाँ-हूँ भी नहीं सुन पाती. थक-हारकर कहने लगती कि "आप सुन नहीं रहे हैं". तब वो अपनी गर्दन हल्की सी घुमाकर "उसकी" कही हुई सारी बातें दोहरा देता था...
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